As it is well known that the income tax department has allowed Aadhaar card holders to use the biometric id number in lieu of the Permanent Account Number (PAN). But as per new provision of Income Tax, fine of Rs. 10,000 may be levied in case of wrong Aadhar Number. As per the latest amendments in the Finance Bill 2019, not only allowed people to use Aadhaar in lieu of PAN but also introduced a penalty for giving a false Aadhaar number. However, the new penalty rules are applicable only in cases where you are using Aadhaar in lieu of PAN and where quoting PAN is mandatory according to the income tax department rules. It is well known that although Aadhaar is issued by the Unique Identity Authority of India, yet the fine is not imposed by UIDAI but by the income tax department. Under Section 272B of the Income Tax Act, 1961, the department can impose a penalty in case of default in complying with provisions relating to PAN, i.e., failure to obtain, quote, or authenticate PAN.
सुधरे नहीं तो हर दस वर्ष में तबाही मचाएगा मानसून
वैसे तो मानसून को भारतीय कृषि व अर्थंव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है लेकिन आने वाले दिनों में इसका कहर झेलने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। इस वर्ष मानसून ने पूरे उत्तर भारत में जो कहर बरपाया है वैसा अभी तक सौ वर्षो में सिर्फ एक बार देखने को मिलता है। लेकिन, अब ऐसा हर दस वर्ष में देखने को मिल सकता है। मानसून के इस बदले मिजाज का अंदाजा विश्व बैंक की तरफ से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में लगाया गया है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और इसके क्षेत्रवार असर का आकलन किया गया है जो काफी भयभीत करने वाला है।
रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को बड़ी कीमत
चुकानी पड़ सकती है। वर्ष 2040 तक भारत के खाद्यान्न उत्पादन में काफी गिरावट आ
सकती है। देश का 60 फीसद खाद्यान्न उत्पादन मानसून आधारित है। 2050 तक अगर वैश्विक
तापमान में दो से ढाई फीसद तक वृद्धि होती है तो गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु
नदियों के जलस्तर में काफी गिरावट आ सकती है। इससे 6.3 करोड़ लोगों के लिए खाद्य
सुरक्षा पर संकट पैदा हो सकता है। जलस्तर में कमी कई अन्य समस्याओं को भी पैदा
करेगा।
ंिवश्व बैंक ने एक बेहद प्रतिष्ठित संस्थान से यह अध्ययन करवाया है
और रिपोर्ट तैयार करने में 25 वैज्ञानिकों की मदद ली गई है। रिपोर्ट के मुताबिक
वर्ष 2090 तक वैश्विक तापमान में अगर चार फीसद की वृद्धि होती है तो इससे दक्षिण
एशियाई क्षेत्र पर काफी असर पड़ेगा। इस हिस्से में बाढ़, सूखा, समुद्र स्तर में
वृद्धि, ग्लेशियर के पिघलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। पूरे दक्षिण एशिया
में 2040 तक खाद्यान्न उत्पादन में 40 फीसद तक गिरावट आ सकती है। तापमान में
बढ़ोतरी कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियों को भी जन्म देगी। रिपोर्ट में बांग्लादेश
के साथ मुंबई और कोलकाता पर सबसे विपरीत असर पड़ने की आशंका जताई गई है।
िवश्व बैंक के निदेशक (भारत) ओनो रूहल ने कहा, 'वैज्ञानिकों का
अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ सकता
है। इससे भारत में पिछले कई वर्षो से हो रही प्रगति पर पानी फिर सकता है। सरकार को
इन हालात से निपटने के लिए लगातार कोशिश करनी चाहिए।' रिपोर्ट कहती है कि आने वाले
दिनों की तमाम समस्याएं दूर करने के लिए मौजूदा वैश्विक तापमान में दो फीसद की
गिरावट लाना जरूरी है। इसके लिए सरकार को कार्बन उत्सर्जन कम करने की व्यापक
रणनीति बनानी होगी। पर्यावरण माकूल कृषि को बढ़ावा देकर आपदा प्रबंधन ढांचा,
स्वास्थ्य एवं बाढ़ नियंत्रण समेत तमाम क्षेत्रों के लिए रणनीति बनानी होगी।
Source : नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो।
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